Monday, January 24, 2011

kal ho na ho

टाइम कैसे मैनेज करूँ.






अब मैं क्या बताऊँ . जानता हूँ मेरी बात पर किसी को यकीं नहीं आएगा. पर यही सच है . मेरी सुबह ८ या ८:३० में होती है . दस बजे ऑफिस क लिए निकल जाता. फिर रात एक डेढ़  बजे क आस पास ही घर आ पाता हूँ. ऐसे में मेरे पास बिलकुल समय नही होता की ब्लॉग लिखूं. इच्छा होती है कि  रोज कुछ न कुछ लिखूं .  लिखने क लिए समय निकल पाऊं , यह संभव नहीं हो पाता . मैं किसी का ब्लॉग भी शयद ही कभी पढ़ पाता हूँ. मेरी समस्या को सुनकर सब मुझे ही दोष देते  हैं की मुझे टाइम मैनेज करना नहीं आता. हो सकता है, यह सच हो, पर सवाल यह है कि मैं मैनेज कैसे करूँ यह तो मुझे कोई बताता ही नहीं है. सुबह ऑफिस में मीटिंग के बाद न्यूज़ की लिस्ट बनानी होती  है फिर उसे बॉस तक ले जाकर  डिस्कस करना होता. ये छोटी बात नही है , क्योकि इतने में दोपहर के  एक बज जातें हैं. दिन भर पाता नहीं कितने लोग खबरों के सिलसिले में मिलने आतें हैं उन्हें भी डील करना पड़ता है. दिन भर में सौ तो फ़ोन आते हैं. सब को देखिये. शाम होते ही ख़बरें आने लगती हैं. सबकी समस्यां सुननी पड़ती है. रात को भी मेरी जवाबदारी होती है कि देखूं सब ख़बरें ठीक लग रही हैं कि नहीं बस बज जाते हैं कभी कभी  दो भी. अगर कुछ स्पेसले हुआ या मेरी पसंद का हुआ तो दिन में रिपोर्टिंग भी करता हूँ. अब आप लोग मुझे बताओ कि टाइम कैसे मैनेज करूँ.



Sunday, January 16, 2011

जोहार


इस शब्द से न घबराएँ झारखण्ड में  नमस्कार के लिए जोहार  शब्द प्रयुक्त होता है. आज ब्लॉग की विधिवत शुरुआत कर रहा हूँ,  तो सबसे  पहले  उनको शुभकामनायें जो विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं. दरअसल आज से ही इस वर्ष का विविः महूर्त शुरू हो है तो जोर का झटका जोरो से खाने वालो को शुभकामना के  रूप में आगाह कर दे रहा हूँ
मैं अक्सर  वादा कर के निभा नहीं पता हूँ इसलिए रोज पोस्ट लिखने का वादा तो नहीं करूँगा पर मेरी कोशिश होगी की मीडिया जगत की हलचलों से अवगत करता चलूँ आप भी समझ जायेंगे की पाठको के समक्ष भेजने से पहले खबर के  साथ कितनी माथा पच्ची करनी पड़ती है.